Friday, April 9, 2010

mera ghar

मेरा घर,
सुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्मता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फूहारो में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
ओस की बूंदों में नहाता,
इन्द्रधनुषी रंगों में रंगता मेरा घर!
सावन की बौछारों में मचलता
शीतल बयार में इतराता मेरा घर!
क्या जानू मैं स्वाग क्या है,
इन्द्र लोक का वैभव क्या है,
समस्त लोक का नैसर्गिक सुख,
देता लुटाता मेरा घर
.......................सदैव
......................shaliniiagam

7 comments:

  1. wow superb
    ghar swarg hai nari se jaha Aap ho vo ghar sundar hona hi hai



    rahul Agggarwal

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  2. wooooooooooooooo u r fantastic aouther buddy
    aryan

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  3. hey ur a marvales poetest
    i am 1 of your big fans keep it up
    gud
    salmaan

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  4. Hi Shalini mam,
    your are too gooood.

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  5. मेरा घर,
    सुबह की धूप में गुनगुनाता,
    कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
    सायं की लाली में सुर्मता
    दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
    रिमझिम फूहारो में भीगता
    चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,


    Wahhh waahh waaah......kya baat hai...Shabdo ka acha rista rha hai.. Good

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  6. शुक्रिया दीप जी ,
    आपकी प्रशंसा मेरा मार्ग दर्शन करेगी ...........

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