मेरा घर,
सुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्मता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फूहारो में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
ओस की बूंदों में नहाता,
इन्द्रधनुषी रंगों में रंगता मेरा घर!
सावन की बौछारों में मचलता
शीतल बयार में इतराता मेरा घर!
क्या जानू मैं स्वाग क्या है,
इन्द्र लोक का वैभव क्या है,
समस्त लोक का नैसर्गिक सुख,
देता लुटाता मेरा घर
.......................सदैव
......................shaliniiagam
Friday, April 9, 2010
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wow superb
ReplyDeleteghar swarg hai nari se jaha Aap ho vo ghar sundar hona hi hai
rahul Agggarwal
wooooooooooooooo u r fantastic aouther buddy
ReplyDeletearyan
hey ur a marvales poetest
ReplyDeletei am 1 of your big fans keep it up
gud
salmaan
Hi Shalini mam,
ReplyDeleteyour are too gooood.
HEY HONEY,
ReplyDeleteSHINE LIKE A MOON
मेरा घर,
ReplyDeleteसुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्मता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फूहारो में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
Wahhh waahh waaah......kya baat hai...Shabdo ka acha rista rha hai.. Good
शुक्रिया दीप जी ,
ReplyDeleteआपकी प्रशंसा मेरा मार्ग दर्शन करेगी ...........