मेरा घर,
सुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्मता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फूहारो में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
ओस की बूंदों में नहाता,
इन्द्रधनुषी रंगों में रंगता मेरा घर!
सावन की बौछारों में मचलता
शीतल बयार में इतराता मेरा घर!
क्या जानू मैं स्वाग क्या है,
इन्द्र लोक का वैभव क्या है,
समस्त लोक का नैसर्गिक सुख,
देता लुटाता मेरा घर
.......................सदैव
......................shaliniiagam
Friday, April 9, 2010
bitiya ke janam-diwas par
बिटिया के जन्मदिवस पर
बालक है मेरे प्रेमपुष्प,
सींचती हूँ
mei ममत्व जल से
बालक है मेरे सूर्य पुंज
किरणों को उनकी चमकaती हूँ
अपनी उर्जा से
बालक है मेरे रजत चन्द्र
दमकती हूँ अपनी चांदनी से,
अम्बिका शुभम है मेरे गर्व गौरव्
शक्तिमान,dedipyaman है मेरी कामना से
बालक है मेरे मांगलिक दीप,
प्रज्ज्वलित है मेरे आशीर्वादों से,
हर माँ के समान ,मैने भी देखा है स्वप्न,
कुसुमित पल्लवित हो मेहेके जीवन क्यारी में,
संस्कारो की कड़ी धूप में निखरे कंचन से,
बडो का आदर,छोटो से प्यार करें दिल से,
नैतिकता व् राष्ट्रहित में लगे रहें मन से,
माँ पा के अनुशासन में, संरक्षण में,
आगे बढे जग से''........................
......................शालिनिअगम.
बालक है मेरे प्रेमपुष्प,
सींचती हूँ
mei ममत्व जल से
बालक है मेरे सूर्य पुंज
किरणों को उनकी चमकaती हूँ
अपनी उर्जा से
बालक है मेरे रजत चन्द्र
दमकती हूँ अपनी चांदनी से,
अम्बिका शुभम है मेरे गर्व गौरव्
शक्तिमान,dedipyaman है मेरी कामना से
बालक है मेरे मांगलिक दीप,
प्रज्ज्वलित है मेरे आशीर्वादों से,
हर माँ के समान ,मैने भी देखा है स्वप्न,
कुसुमित पल्लवित हो मेहेके जीवन क्यारी में,
संस्कारो की कड़ी धूप में निखरे कंचन से,
बडो का आदर,छोटो से प्यार करें दिल से,
नैतिकता व् राष्ट्रहित में लगे रहें मन से,
माँ पा के अनुशासन में, संरक्षण में,
आगे बढे जग से''........................
......................शालिनिअगम.
Monday, April 5, 2010
sachchai jeewan ki
सच्चाई जीवन की ;
मोती की माला टूटने परर हम झुक-झुक कर उसे समेटते है,बार-बार गिनते है की कोई मोती कम तो नहीं, पर अपने किसी का ह्रदय कितनी बार टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया, इसकी किसी को परवाह नहीं. दूसरे के आंसू पोंछने को तत्पर कभी कोई नहीं सोचता की मेरे घर में मुझे सबसे अधिक प्यार करने वाला/वाली की आँखों में मेरे कारण नमी तो नहीं? क्या मेरे अपने के स्वतंत्र जीवन का मई हर पल बंधक तो नहीं?????????????????
..........................shaliniagam
मोती की माला टूटने परर हम झुक-झुक कर उसे समेटते है,बार-बार गिनते है की कोई मोती कम तो नहीं, पर अपने किसी का ह्रदय कितनी बार टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया, इसकी किसी को परवाह नहीं. दूसरे के आंसू पोंछने को तत्पर कभी कोई नहीं सोचता की मेरे घर में मुझे सबसे अधिक प्यार करने वाला/वाली की आँखों में मेरे कारण नमी तो नहीं? क्या मेरे अपने के स्वतंत्र जीवन का मई हर पल बंधक तो नहीं?????????????????
..........................shaliniagam
mere apne
kuch gup-chup se
kuch gumsum se,
nirnimesh shunye me ,
takte hai..
apne isi vyaktitva se,
shan bhar me hi
moh lete hai.
Shaliniagam
kuch gumsum se,
nirnimesh shunye me ,
takte hai..
apne isi vyaktitva se,
shan bhar me hi
moh lete hai.
Shaliniagam
Thursday, April 1, 2010
sadachaari
सदाचार
सदाचारी बनो तुम,
माता के पिता के सदा
दुलारे बनो तुम.
गुरुओ -शिक्षको के,
आभारी बनो तुम,
सद आचरण सद व्यहवार,
नैतिकतावादी, अनुशासनप्रिय,
जीवन-मूल्यों को समझ कर,
भलाई के कार्य करो तुम,
प्रकृति के नियमो पर चलकर
पढ़-लिख कर बुद्धिमान बनो तुम,
सदाचारी कभी हारता नहीं है.
आज नहीं तो कल जीतता वही है;
सदाचार के आभाव में जीवन,
मूल्यहीन,सौंदर्य विहीन है!
जीवन को सफल बनाने के लिए,
सदाचार के नियमो में ढल जाओ तुम,
सम्माननीय बनो यशस्वी बनो,
आदर्श बनो , राष्ट्र के तुम!!
स्वाधीन्तादिवस पर विशेष..............................
२००२
.........................................shaliniiagam
सदाचारी बनो तुम,
माता के पिता के सदा
दुलारे बनो तुम.
गुरुओ -शिक्षको के,
आभारी बनो तुम,
सद आचरण सद व्यहवार,
नैतिकतावादी, अनुशासनप्रिय,
जीवन-मूल्यों को समझ कर,
भलाई के कार्य करो तुम,
प्रकृति के नियमो पर चलकर
पढ़-लिख कर बुद्धिमान बनो तुम,
सदाचारी कभी हारता नहीं है.
आज नहीं तो कल जीतता वही है;
सदाचार के आभाव में जीवन,
मूल्यहीन,सौंदर्य विहीन है!
जीवन को सफल बनाने के लिए,
सदाचार के नियमो में ढल जाओ तुम,
सम्माननीय बनो यशस्वी बनो,
आदर्श बनो , राष्ट्र के तुम!!
स्वाधीन्तादिवस पर विशेष..............................
२००२
.........................................shaliniiagam
Nirantar
निरंतर.
विवाह से अब तक, हर दिन,हर रात निरंतर...............
मेरा मन न जाने क्या चाहे;
जो चाहे पूरा हो न पाए;
आशाओ का टूट जाना ही;
आँखों के सहारे झर-झर बहता जाए;
........................................शायद
यही है विवाहित जीवन
२००८
............................शालिनीअगम
.
विवाह से अब तक, हर दिन,हर रात निरंतर...............
मेरा मन न जाने क्या चाहे;
जो चाहे पूरा हो न पाए;
आशाओ का टूट जाना ही;
आँखों के सहारे झर-झर बहता जाए;
........................................शायद
यही है विवाहित जीवन
२००८
............................शालिनीअगम
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